हाल ही में रिलीज़ हुई डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'Udaipur Files' ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। फिल्म में 2022 में उदयपुर में हुई कन्हैया लाल हत्या की दर्दनाक घटना को दिखाया गया है, जिसमें एक दर्जी को सिर्फ सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से बेरहमी से मार डाला गया था। इस फिल्म ने न केवल आम जनता बल्कि पीड़ित परिवारों को भी झकझोर कर रख दिया है।
परिजनों की भावनात्मक प्रतिक्रिया
फिल्म के रिलीज़ के बाद कन्हैया लाल के परिजनों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि "ये सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि हमारे दर्द की कहानी है।" उन्होंने बताया कि इस फिल्म को देखकर उन्हें एक बार फिर से वो घटना याद आ गई, जिसने उनका पूरा जीवन बदल दिया।
कन्हैया लाल के बेटे ने एक टीवी चैनल से कहा, "हम चाहते हैं कि इस फिल्म से लोगों को सच्चाई पता चले और देश में ऐसी घटनाएं फिर न हों।" परिजनों ने यह भी आग्रह किया कि फिल्म को राजनीतिक रंग न दिया जाए और इसे सिर्फ एक सामाजिक चेतावनी के रूप में देखा जाए।
फिल्म का उद्देश्य और संदेश;
'Udaipur Files' का उद्देश्य है – धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद के खतरों को उजागर करना। निर्देशक ने बताया कि यह फिल्म किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि एक ऐसी सोच के खिलाफ है जो हिंसा को जायज़ ठहराती है।
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे सोशल मीडिया के एक पोस्ट पर भड़काऊ मानसिकता वाले लोग एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या कर देते हैं। यह हमारे समाज के लिए एक आईना है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और धार्मिक आस्था के बीच संतुलन कितना ज़रूरी है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
जैसा कि अपेक्षित था, फिल्म को लेकर राजनीतिक हलकों में भी बहस छिड़ गई है। कुछ नेताओं ने इस फिल्म को 'हेट स्पीच को बढ़ावा देने वाला' करार दिया, जबकि कई लोगों ने इसे 'सच्चाई की ज़ुबान' कहा है।
हालांकि, परिजनों ने इन राजनीतिक बयानों से खुद को दूर रखते हुए साफ किया कि "हमारी लड़ाई इंसाफ की है, राजनीति की नहीं।"
सोशल मीडिया पर हलचल
फिल्म के ट्रेलर और रिलीज़ के बाद सोशल मीडिया पर भी इसकी खूब चर्चा हो रही है। #UdaipurFiles ट्रेंड कर रहा है, और लोग इस फिल्म को देखकर अपने विचार साझा कर रहे हैं। कुछ लोग कह रहे हैं कि यह फिल्म एक जरूरी डिबेट की शुरुआत करती है, वहीं कुछ इसे समुदायों के बीच दरार पैदा करने वाली बता रहे हैं।
निष्कर्ष
'Udaipur Files' एक ऐसी फिल्म बन गई है जो सिर्फ एक घटना को नहीं, बल्कि पूरे देश की सामाजिक चेतना को झकझोरती है। पीड़ित परिवारों की भावनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि यह मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है। यदि हम इससे कुछ सीखें और समाज में एकता, सहिष्णुता और न्याय की भावना को मजबूत करें – तभी इस फिल्म का वास्तविक उद्देश्य पूरा होगा
